Wednesday, October 30, 2024
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शैक्षिक नवाचारों को अपनाने से खुलेंगे आगे बढ़ने के रास्ते: राज्यपाल

बीकानेर, 11 सितंबर। राज्यपाल श्री कलराज मिश्र ने कहा कि नई शिक्षा नीति विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास की अवधारणा के साथ भारतीय जनमानस की आकांक्षाओं की अभिव्यक्ति है।
राज्यपाल श्री मिश्र सोमवार को महाराजा गंगासिंह विश्वविद्यालय में ‘हमारी शिक्षा प्रणाली में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को स्वीकृत करने की संभावनाएं और चुनौतियां’ विषयक राष्ट्रीय सेमिनार के समापन और अमृत वाटिका के लोकार्पण समारोह को संबोधित कर रहे थे।
राज्यपाल श्री मिश्र ने कहा कि नई शिक्षा नीति में विद्यार्थियों की रुचि व विकास पर विशेष ध्यान दिया गया है। इसका उद्देश्य भारत को ज्ञान आधारित देश बनाना है। उन्होंने कहा कि शिक्षा वही सार्थक है, जिसमें नयेपन पर जोर हो। शैक्षिक नवाचारों को जितना अपनाया जाएगा, हर क्षेत्र में आगे बढ़ने के रास्ते खुलेंगे। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति व्यापक दृष्टिकोण पर आधारित नीति है, जो भारत को पुनः विश्व गुरु बनने की ओर बढ़ाएगी। शिक्षा नीति में भारतीय ज्ञान परंपरा का समावेश किया गया है। उन्होंने कहा कि आज देश तेजी से विकास की ओर अग्रसर हो रहा है। भारत में विश्व को एक साथ रखकर विश्व बंधुत्व को साकार करने की क्षमता है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय शिक्षा नीति के परिपेक्ष्य में समय-समय पर ऐसे आयोजन करे।


राज्यपाल ने विश्वविद्यालय द्वारा शिक्षा के साथ पारिस्थितिकी संतुलन और पर्यावरण संरक्षण विषय पर किए जा रहे कार्यों की सराहना की। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय द्वारा अमृत महोत्सव के तहत अमृत वाटिका तैयार की गई है तथा इसके पौधों के साथ बीकानेर संभाग के शहीदों और स्वतंत्रता सेनानियों के शिला फलक लगाकर पौधों का नामकरण शहीदों और सेनानियों के नाम पर किया गया है। यह युवाओं के लिए प्रेरणादाई होगा। राज्यपाल ने कहा कि मरुस्थलीय क्षेत्र में अत्यधिक गर्मी होती है। ऐसे में वन आच्छादित क्षेत्र में वृद्धि हो तो मृदा का क्षरण घटता है और भूजल स्तर सुधारने के साथ तापमान में कमी आती है। उन्होंने कहा कि इसके मद्देनजर सभी विश्वविद्यालयों को 15 अगस्त के अवसर पर अधिक से अधिक पौधे लगाने के लिए निर्देशित किया गया है।
राज्यपाल श्री मिश्र ने बीकानेर के भाईचारे, आत्मीयता और अपनापे को विशेष बताया। साहित्य, कला एवं संस्कृति के क्षेत्र में विशेष योगदान देने वाले डॉ. छगन मोहता, डॉ. श्रीलाल मोहता, हरीश भादाणी, मोहम्मद सदीक, अजीज आजाद, राजानंद भटनागर, निर्मोही व्यास, रामदेव आचार्य, यादवेंद्र शर्मा चंद्र और अन्नाराम सुदामा आदि के अवदान को याद किया। उन्होंने कहा कि अल्लाह जिलाई बाई की माड गायकी, लोकनाट्य परंपरा ‘रम्मत’, उस्ता कला और लघु चित्र शैलियों भी विशेष पहचान रखती है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय द्वारा बीकानेर की इस विरासत को युवा पीढ़ी तक पहुंचाने के प्रयास किए जाएं।


विश्वविद्यालय के कुलपति आचार्य मनोज दीक्षित ने कहा कि विश्वविद्यालय द्वारा युवाओं में राष्ट्र प्रेम की भावना जागृत करने की उद्देश्य से विभिन्न नवाचार किए गए हैं। उन्होंने विश्वविद्यालय की विभिन्न गतिविधियों की जानकारी दी और कहा कि विश्वविद्यालय द्वारा जल्दी ही भारत के प्रमुख व्यक्तियों के नाम से भवनों और पार्कों का नाम नामकरण किया जाएगा।


इस दौरान पूर्व कुलपति डॉ. ए.के. गहलोत तथा राजस्थान राज्य उच्च शिक्षा परिषद के उपाध्यक्ष प्रो. डी.एस. चुंडावत बतौर अतिथि मौजूद रहे। इससे पूर्व राज्यपाल ने दीप प्रज्वलन कर समापन सत्र की शुरुआत की। कुलसचिव अरुण प्रकाश शर्मा ने आगंतुकों का आभार जताया। इस दौरान बीकानेर पूर्व विधानसभा क्षेत्र विधायक सिद्धि कुमारी सहित विभिन्न प्रशासनिक अधिकारी, विश्वविद्यालय प्रबंधन बोर्ड और विद्या परिषद सदस्य, विभिन्न महाविद्यालयों के शिक्षक तथा विद्यार्थी मौजूद रहे।
*अमृत वाटिका का किया लोकार्पण*
इससे पहले राज्यपाल श्री कलराज मिश्र ने विश्वविद्यालय परिसर में अमृत वाटिका का लोकार्पण किया। अमृत वाटिका में संभाग के 137 शहीदों और स्वतंत्रता सेनानियों के नाम पर पौधों का नामकरण किया गया है। इसमें बीकानेर जिले के 22, चूरू जिले के 90, श्रीगंगानगर जिले के 12 तथा हनुमानगढ़ जिले के 13 शहीदों और स्वतंत्रता सेनानियों के नाम सम्मिलित हैं। उद्घटान के पश्चात राज्यपाल श्री मिश्र ने अमृत वाटिका का अवलोकन किया। उन्होंने महाराजा गंगा सिंह के चित्र के समक्ष पुष्पांजलि अर्पित की।

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