शुक्रवार शाम हरियाणा (Haryana) के बीजेपी (BJP) प्रभारी बिप्लब देब (Biplab Deb) जब चंडीगढ़ के सीएम आवास संत कबीर कुटीर पहुंचे तो हरियाणा से लेकर दिल्ली तक सियासी अटकलों का दौर शुरू हो गया। हरियाणा की गठबंधन सरकार के बीच खटास की खबरों और पिछले दो दिनों से जारी मेल-मुलाकातों का यह तीसरा दौर था। जिसने राजनीतिक गलियारों की धड़कनें बढ़ा दीं. संत कबीर कुटीर में शाम 7 बजे शुरू हुई सीएम एमएल खट्टर (ML Khattar) और प्रदेश प्रभारी बिप्लब देब के बीच करीब तीन घंटे तक बैठक हुई. इस दौरान कृषि मंत्री जेपी दलाल भी मौजूद रहे, इसलिए माना जा रहा कि सूरजमुखी की एमसपी को लेकर चर्चा हुई होगी. लेकिन एक कयास यह भी है कि इस बैठक में गठबंधन सरकार को लेकर भी चर्चा हुई होगी
हरियाणा की सियासी अटकलबाजियां
बैठक हुई, चर्चा चली और सियासी अटकलबाजियां शुरू हुईं तो जेजेपी नेता और डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला (Dushyant Chautala) भी खुलकर बोले. मीडिया के सवालों पर सवाल किया. उन्होंने कहा कि मिलना-जुलना कोई अपराध है क्या? हमने कौन समर्थन छोड़ा है? बता दें कि कुछ ऐसी ही प्रतिक्रिया हरियाणा के गृह मंत्री अनिल विज की रही. उन्होंने कहा कि बिप्लब देब हमेशा मिलते रहते हैं. वे निर्दलीय विधायकों से भी मिलते हैं. सबसे मुलाकात करते हैं।
दुष्यंत चौटाला के बयान से अटकलें तेज
अटकलों का क्या है वो तो समय-समय पर किसी भी गठबंधन सरकारों का हिस्सा रही हैं, हालांकि, दुष्यंत चौटाला के एक और बयान ने ही अटकलों को तेज किया. जिसमें उन्होंने कहा था कि गठबंधन सरकार बनाकर कोई भी एक-दूसरे पर अहसान नहीं किया है, हालांकि, दुष्यंत चौटाला को लगता है कि फिलहाल गठबंधन सरकार में कोई दरार नहीं है. वैसे तो गठबंधन सरकार को लेकर बयानबाजियां पिछले कई दिनों से जारी है, लेकिन इसको तब और बल मिल गया. जब बीजेपी प्रदेश प्रभारी शुक्रवार को निर्दलीय विधायक गोपाल कांडा से मिले और इससे एक दिन पहले 4 निर्दलीय विधायकों से दिल्ली में मुलाकात की।
BJP-JJP गठबंधन में मतभेद
हरियाणा में BJP-JJP गठबंधन की सरकार में मतभेद सामने आ चुके हैं. निर्दलीय विधायक सरकार के साथ हैं. अब बिना गठबंधन से BJP को फायदा होगा। इन विधायकों में रामपाल गोंदर, राकेश दौलताबाद, रणधीर सिंह और सोमवीर सांगवान शामिल रहे. निर्दलीय विधायकों से घटती दूरी ने ही इस चर्चा को हवा दे दी है कि बीजेपी अंदरखाने सब कुछ सेट कर लेना चाहती है।
हरियाणा में बहुमत का गणित
दरअसल, हरियाणा विधानसभा की मौजूदा स्थिति का आकलन करें तो तस्वीरें कुछ इस तरह नजर आती है। विधानसभा में फिलहाल बीजेपी के 41 विधायक है जबकि सहयोगी पार्टी जेजेपी के 10 और हरियाणा लोकहित पार्टी के गोपालकांडा एकमात्र विधायक हैं। इसी तरह कांग्रेस के 30 विधायक, आईएनएलडी के 1 और निर्दलीय 7 विधायक हैं. हरियाणा विधानसभा में कुल 90 सीटें हैं. इस तरह से बहुमत के लिए 46 सीटें चाहिए. लेकिन राहत की बात है कि बीजेपी और जेजेपी दोनों ने ही साफ कर दिया है कि फिलहाल गठबंधन सरकार चलती रहेगी।