लिथियम जिसे सफेद सोना भी कहा जाता है, का एक बड़ा भंडार राजस्थान के नागौर ज़िले के डेगाना तहसील में पाया गया है। यह भण्डार फरवरी में जम्मू एण्ड कश्मीर में मिले 59 लाख टन ख़ज़ाने से भी कई गुना अधिक का बताया जा रहा है। यह देश की 80 प्रतिशत मांग को पूरा करने में सक्षम बताया जा रहा है।
जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (GSI)की खोज में लिथियम का अबतक का सबसे बड़ा खजाना मिला है। जिसके कारण भारत की लिथियम को लेकर चीन पर निर्भरता लगभग समाप्त हो जाएगी।
अब तक भारत कुल लिथियम का 53.76 प्रतिशत हिस्सा चीन से खरीदता रहा है। राजस्थान में मिले इस मूल्यवान धातु के भण्डार के बाद ये निर्भरता खत्म हो सकती है।
आपको बता दें कि इसी साल फरवरी में जम्मू और काश्मीर में लिथियम का 59 लाख टन के भण्डार का पता चला था।
लिथियम का सबसे बड़ा भण्डार 210 लाख टन का है जो बोलीविया में है। अर्जेटीना, चिली,अमेरिका में भी इसके भण्डार हैं। चीन के पास लगभग 51 लाख टन लिथियम का भण्डार है।
ज़ियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इण्डिया की जानकारी के मुताबिक़ राजस्थान के नागौर ज़िले के डेगाना में टंगस्टन की खोज की जा रही थी। जो कि ब्रिटिश रूल्स के समय बहुत अधिक इसी इलाके में पाया गया था, लेकिन खोज के दौरान लिथियम के छिपे हुए भण्डार की बात सामने आई।
लिथियम धातु दुनिया में अब तक ज्ञात सबसे मुलायम और हल्की धातु है। जिसे चाकू से भी आसानी से काटा जा सकता है। यहीं नहीं लिथियम रासायनिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में बदलने में सक्षम है। इसलिए इसका उपयोग हर इलेक्ट्रॉ़निक गैज़ट में किया जा रहा है।
अपनी बढ़ती मांग के कारण ही लिथियम को सफेद सोना कहां जाता है। यही कारण है कि एक टन लिथियम की कीमत लगभग 57.36 लाख रुपए बतायी जाती है।