बीकानेर में नयाशहर थाने के पास स्थित बड़ी ईदगाह में शहर क़ाज़ी शाहनवाज हुसैन की इमामत में ईदुल फ़ित्र की नमाज़ अदा हुई।
इस मौक़े पर ईदगाह में बड़ी संख्या में शहर के विभिन्न मोहल्लों के अलावा आस पास के गांवों के अकीदतमंदों ने भी नमाज अदा की। हमेशा की तरह इस मर्तबा भी मुसलमानों ने ईद की नमाज अदा करने के बाद आए हुए मेहमानों से मिल कर ख़ुशी का इज़हार किया।
ईदुलफितर मनाने के पीछे पौराणिक तथ्य
ईदुल फित्र 01शव्वालुल मुकर्रम सन हिजरी 02 यानी पहली ईदुल फित्र 25मार्च 624को मनाई गई। ईदुल फित्र और सदक़ातुल फित्र के अहकामात(आदेश) 24मार्च 624 को नाजिल हुए । ईदुल फित्र की नमाज़ और इसमें पढ़ा जाने वाला खुत्बा खुद हज़रत मुहम्मद साहब ने पढ़ा। हर क़ौम के कुछ खास त्यौहार हैं और उनमें जश्नन मनाए जाते हैं। कौम और समाजों में अपनी-अपनी हैसियत से नए कपड़े पहनते हैं खाना और पकवान पकाते हैं अपनी खुशी और मसर्रत का इज़हार करते हैं यह गोया इंसानी फितरत का तकाजा है। इन्सानों में कोई तबक़ा या वर्ग ऐसा नहीं है कि जिसके यहां ऐसे कोई त्योहार नहीं होते हों , जिसमें वे अपनी खुशियां न बांटत बाँटते हों।
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इसी तरह इस्लाम में भी दो दिन रखे गए हैं जिनमें पहला ईदुल फित्र और दूसरा ईदुल अज़हा। यही मुसलमानों के दो मुख्य त्योहार है। इस्लाम के अनुयायियों की ज़िन्दगी में ये त्योहार भी उसी वक्त शुरू हुए हैं जब हज़रत मुहम्मद साहब मदीना तैयबा तशरीफ़ लाए। ईद उल फ़ित्र और ईद उल अजहा इन दोनों त्योहारों का सिलसिला भी इसी वक्त से शुरू हुआ। रमजान उल मुबारक का महीना जब खत्म होता है और उसमें रोज़ों में तरावीह सदक़ातुल फित्र, शबे कद्र, ऐतकाफ कर चुकने के बाद शव्वालुल मुकर्रम का महीना शुरू हो जाता है,उसी दिन ईद उल फ़ित्र मनाया जाता है। लफ़्ज़ ईद, अऊद से लिया गया है जिसका मतलब होता है बार-बार आना। जिस तरह जुम्मे का दिन हफ्ते की ईद है उसी तरह ईद उल फ़ित्र वोह ईद है जो रमजान उल मुबारक के महीने के बाद शुकराना अदा करने का मौका देती है।
कई लोग यह भी कहते हैं कि इस दिन अल्लाह अपने बंदों पर अपनी रहमत और बख़्शीश के लिए मुतव्वजे होता है । ईद उल फ़ित्र की नमाज जहरी है इसमें आम तकबीरो के अलावा 06 तकबीरे ज़ियादा बोली जाती है। ये तकबीरे वाजिब है ,अगर ये छूट जाए तो ग़लती और भूल सुधारने के लिए सजदा ए सहव अदा करना होता है। दो रकात पूरी होने के बाद इमाम की तरफ से खुत्बा पढ़ा जाता है। खुतबा के बाद नमाज़ मुकम्मल होती है। जुमा और ईद की नमाज़ में यह अन्तर है कि जुमा का खुतबा नमाज़ से पहले पढ़ा जाता है और ईद की नमाज़ में खुत्बा नमाज़ के बाद पढ़ा जाता है।
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ईद के दिन आहिस्ता-आहिस्ता तकबीरे तसरीक़ पढ़ी जाती है। ईद की नमाज के लिए एक रास्ते से जाएं और दूसरे रास्ते से आना चाहिए। ईद के दिन औरतों और बच्चियों को घरों से निकलने के लिए भी इजाजत दी गई है। ईद के दिन हर बालिग़ मुसलमान को ईद की नमाज पढ़ने के लिए हुक्म दिया गया है। ईद उल फ़ित्र की नमाज के लिए जाने के लिए कुछ खाना खा कर जाना सही बताया है । ईद की नमाज में तकबीर और इकामत नहीं होती है । ईद के दिन अल्लाह की बड़ाई बयान करते हैं। यह उसकी अज़मत और उसकी किब्रियाई का दिन है। हर जायज़ तरीक़े से खुशी का इजहार करना चाहिए । इस दिन रोजा रखना मुसलमानों के लिए हराम है। यह छूट रब्बुल आलमीन की तरफ से विशेष रूप से दी गई है। ईद के दिन ग़रीबों और ज़रुरतमंदो को सदक़ातुल फित्र देना वाजिब है, इसका मक़सद यही कि कोई ग़रीब इन्सान भी ईद की खुशी में शामिल होने से वंचित न रहे। इसका मक़सद यह भी है कि इस दिन कोई बंदा भूखा और रंजीदा न रहे।
ईदुल फित्र इस्लाम मज़हब के मानने वाले अनुयायियों का सबसे बड़ा त्योहार है। इस दिन मीठे पकवान बनाए जाते हैं, और आने वालें मेहमानों को मीठी सिवइयां और खीर खिलाते हैं इसलिए इस ईद को मीठी ईद भी कहते हैं। ईद की नमाज़ के बाद खुतबा पढ़ा जाता है और दुआ मांगी जाती है। अपने मुल्क में अमन-चैन कायम हो,और पूरे मुल्क के सभी मज़ाहिब के लोगों में आपसी भाईचारा बना रहे तथा बुरे कामों से बचाने और अच्छे कामों की तौफीक़ देने के लिए अपने मालिक से खुसूसी दुआ मांगी जाती है ।
2023 में रोज़े 24 मार्च से शुरू हुए और ईदुल फित्र 22अप्रेल को मनाई गई है। इस मौक़े पर सभी धर्मों के लोग शामिल हुए जिस से गंगा-जमुनी तहज़ीब क़ायम करने की मिसाल बनी है। इस मौक़े पर शहर की गणमान्य हस्तियां शामिल हुईं, जिनमें बीकानेर के विधायक और राजस्थान सरकार के शिक्षा मंत्री डॉ.बुलाकी दास कल्ला, उर्जा मंत्री भंवर सिंह भाटी,डॉ अम्बेडकर पीठ के महानिदेशक मदन गोपाल मेघवाल, शहर कांग्रेस अध्यक्ष यशपाल गहलोत, पूर्व नगर विकास न्यास अध्यक्ष हाजी मक़सूद अहमद, एडवोकेट मुहम्मद असलम, हाफ़िज़ फरमान अली, मुहम्मद हारून राठौड़, हाजी मुहम्मद सलीम सोढ़ा सहित अनेक गणमान्य लोगों ने मुस्लिम भाइयों से गले मिलकर ईद की मुबारकबाद दी। नयाशहर थाने में परम्परानुसार ईद स्नेह मिलन समारोह आयोजित किया गया। समारोह में बीकानेर संभाग के संभागीय आयुक्त नीरज के पवन, पुलिस महानिरीक्षक ओमप्रकाश, जिला कलक्टर भगवती प्रसाद कलाल, एसपी तेजस्वनी गौतम आदि ने मुस्लिम भाइयों को ईद पर शुभकामनाएं दी।