अखिल भारतीय कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए होने वाला चुनाव एक बार फिर दिलचस्प दौर में पहुंचता नजर आ रहा है। 30 सितंबर को नामांकन और उसकी जांच के बाद अब मुकाबला कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मापन्ना मल्लिकार्जुन खड़गे और शशि थरूर के बीच है। इसी बीच शशि थरूर के एक बयान से चुनावी माहौल में एक नई गर्मी आती दिखने लगी है। थरूर ने कहा कि, “वे अपने प्रतिद्वंद्वी मल्लिकार्जुन खड़गे के साथ सार्वजनिक बहस के लिए तैयार हैं, क्योंकि इससे लोगों की उसी तरह से पार्टी में दिलचस्पी पैदा होगी, जैसे कि हाल में ब्रिटेन में कंजरवेटिव पार्टी के नेतृत्व पद के चुनाव को लेकर हुई थी.”

शशि थरूर के इस बयान ने खड़गे खेमे में भारी हलचल देखी जा रही है। अपने गृह राज्य कर्नाटक में अजेय विजेता रहे खड़गे के लिए थरूर की यह चुनौती कितनी भारी पड़ेगी, यह देखने वाली बात है। अब तक तो पार्टी के वफादार और बुजुर्ग नेता के नाते उनका पलड़ा भारी माना जा रहा था। लेकिन ऐसी सार्वजनिक बहस में उन्हें उतरना पड़ा तो पार्टी के मतदाताओं पर पड़ने वाला असर ही निर्णायक साबित होगा।

फिलहाल सार्वजनिक बहस को टालने के प्रयास शुरू हो चुके हैं। इसके लिए पहल भी खड़गे ने की है। थरूर के बयान पर प्रतिक्रिया में खड़गे ने कहा, “हम दोनों मिलकर उनके खिलाफ लड़ें, जो महंगाई को बढ़ावा दे रहे हैं, जो बेरोजगारी को बढ़ावा दे रहे हैं, जो लोगों में झगड़ा करा रहे हैं, जो धर्म को धर्म से लड़ा रहे हैं, जो भाषा के नाम पर झगड़ा करा रहे हैं।” उन्होंने कहा, “अगर बहस करनी है, तो हम दोनों मिलकर उनके खिलाफ करें, आरएसएस और भारतीय जनता पार्टी की विचारधारा के खिलाफ हम दोनों लड़ें। आपस के वाद-विवाद से कोई फायदा नहीं है। इससे न तो देश का फायदा है ना ही पार्टी के लिए कोई फायदा है। हमारी विचारधारा के खिलाफ जो काम कर रहे हैं, उनसे लड़ना है।” खड़गे ने कहा, “हमारा संघर्ष भाजपा से है, मोदी-शाह से है। जो लोग देश को बर्बाद कर रहे हैं, समाज को बर्बाद कर रहे हैं, लोगों को बर्बाद कर रहे हैं, उन लोगों के खिलाफ हम दोनों को मिलकर काम करना है।” उन्होंने सबसे अपील की कि इसमें न पड़ें कि किसने क्या कहा और कौन क्या कह रहा है?

जवाब में शशि थरूर ने ट्वीट किया है कि मैं खड़गे जी से सहमत हूं कि कांग्रेस में सभी लोगों को एक दूसरे की बजाय भाजपा से मुकाबला करना चाहिए। हमारे बीच कोई वैचारिक मतभेद नहीं है। लेकिन उन्होंने यह भी साफ कर दिया कि 17 अक्टूबर को होने वाला चुनाव हमारे मतदान सहयोगियों के इस बात पर निर्भर है कि कैसे वे इसे सबसे प्रभावी ढंग से संपन्न करते हैं, अर्थात वे चुनाव के पक्ष में हैं।